शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

सांस्कृतिक कार्यक्रम-

सांस्कृतिक कार्यक्रम का अर्थ है किसी संस्कृति की विशेषताओं को कला के माध्यम से प्रस्तुत करना।
संस्कृति मनोरंजनपरक नहीं होती है इसलिये सांस्कृतिक कार्यक्रम मनोरंजन नहीं है।
यद्यपि की इसकी अभिव्यक्ति के साधन नृत्य, गान, वादन तथा अन्य दृक श्रव्य माध्यम ही होते हैं।
वस्तुतः संस्कृति की अनुभूति इन माध्यमों में सहजता से होती है।
क्योंकि ये ललित कलायें तथा मञ्चकलायें स्वयं में इतने चैतसिक प्रकार की होती है कि इनमें सभ्यता का भौतिक पक्ष अत्यन्त अप्रभावी रहता है।
इसके विपरीत सभ्यता से जुडी चीजें जैसे शासन प्रणाली, परिवहन और संचार के साधन, आवास आदि में भौतिक सुविधा का पक्ष महत्वपूर्ण होता है। अतः इसमें सांस्कृतिक पक्ष प्रखरता के साथ प्रकट नहीं होता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का अर्थ नाच गाना नहीं है। किन्तु इसमें Folk का पक्ष इतना प्रभावी होता है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम का अर्थ मनोरंजन के कार्यक्रम समझा जाने लगा है।
अब यह प्रश्न अवश्य है कि संस्कृति क्या है? तो इसका सहज और सीधा उत्तर है कि संस्कृति मनुष्य की वह सृजनात्मक गतिविधि है जो उसे प्राकृतिक स्थितियों से उपर उठाती है। उसके आहार, निद्रा भय मैथुन आदि स्वाभाविक प्रवृत्तियों को मूल्य व्यवस्था से नियामित और नियन्त्रित करती है।
नियमन और नियन्त्रण के इन आधारों को व्यक्ति तक संप्रेषित करने के लिये जिन उपायों का उपयोग किया जाता है वे प्रदर्शनात्मक प्रकृति के ही होते है। अतः उन क्रियाओं को अन्ततः सांस्कृतिक कार्यक्रम कहा जाने लगता है।
इसका एक दुष्परिणाम यह भी है कि अपसंस्कृति के भी प्रसार का भी यही तरीका है अतः इसे सांस्कृतिक गतिविधि से अलग करने का कार्य भी एक सचॆत और सक्रिय सामाजिक व्यवहार की अपेक्षा करता है।
जिसके कारण लोक कलाओं मे धार्मिक एवं अध्यात्मिक मूल्य भी डाले जाते है जिससे अपनी संस्कृति के प्रति उत्तराधिकार में प्राप्त श्रद्धा के कारण उसे अक्षुण बनाये रखें।